The gradual development or evolution of organisms and their process.



As we have seen, there is no human origin from sequential development or evolution. The gradual development of a human being occurs in the mother's womb, but according to the spiritual science, humans have been revealed. But the statement of modern science is also correct that there is a gradual development. But I believe that sequential growth or evolution has its limits.


How does this gradual development occur for any organism? What are its limitations, we discuss it.


I believe that sequential development has some limitations. From one type of organism to another, it cannot be created by changing itself due to evolution, and this change should be so progress that it takes the form of human and, orderly stop the development after achieve human body form? It is not possible to have such a gradual development or evolution.


But it is true that there is a gradual development. The topic of discussion is how does this happen?
In all living organisms, evolutionary growth occurs either in the mother's womb or outside the mother's womb in this earth, but they also take birth on the earth as eggs from the mother's womb.


In the animal or humans, the sequestration is in the mother's womb. But in the rest of the lives, apart from the mothers womb, it is also seen in the earth.
 Let's talk with some examples.

1.Examples of Frog: -


The life cycle of a frog consists of three stages: - egg, larva and adult. As the frog grows, it passes through these stages, known as metamorphosis. Therefore, a gradual development of a frog occurs in three stages.



thoughtCo.




As the frog grows, it passes through these stages, known as metamorphosis. Frogs are not the only animals to undergo metamorphosis; Most other amphibians also undergo significant changes throughout their life cycle, as there are many species of invertebrates. In which, due to successive development, it takes adult form.



 During metamorphosis, two hormones, prolactin and thyroxine, regulate the change from egg to larva to adult.


2- Similarly butterflies also have gradual reflexes. Which has four stages: -

(1.) egg (2.) larva (3.) pupa (4.) butterfly


3-Similarly jellyfish

so there are many other organisms that have grown up in an adult form by sequential growth.


thoughtCo.


Therefore, a gradual growth occurs, but that gradual growth or evolution occurs to get an adult form.

A gradual development can never happen so that one species changes its character and becomes another species.

Therefore, I do not believe in the principle of modern science that human comes from apes having  caused by sequential growth. And any sequential development that changes its species and takes other forms is not possible in a natural way.

hence evolution is not possible as modern science define.





क्रमिक विकास या जीवों का विकास और उनकी प्रक्रिया।




जैसा की हमने देखा की क्रमगत विकाश से मानव की उतपत्ति नहीं हुई है। मानव का क्रमगत विकाश माँ के ग़र्व में ही होता है, किन्तु आध्यात्मिक विज्ञानं के अनुसार मानव प्रकट किये गए है।अथव  मानव परम चेतना शक्ति से उतपन्न हुए है। परन्तु आधुनिक विज्ञानं का भी कथन सही है की क्रमगत विकाश होता है। किन्तु मेरा यह मानना है की क्रमगत विकाश की अपनी एक सीमा है।


यह क्रमगत विकाश किसी भी जीव के लिए किस प्रकार होता है? इसकी क्या क्या सीमाएं है हम इस्पे चर्चा करते है।


मेरा यह मानना है की क्रमगत विकाश की कुछ सीमाएं है। किसी एक प्रकार के जीव से दूसरा जीव खुद में परिवर्तन करके नहीं पैदा हो सकता, और यह परिवर्तन इतना प्रगति शील हो के मानव का रूप लेले और मानव का रूप लेते हे क्रमगत विकाश रुक जाये? क्रमगत विकाश ऐसा हो यह सम्भव नहीं है।



परन्तु क्रमगत विकाश होता है यह सत्य है। चर्चा का विषय यह है की यह किस प्रकार होता है?
समस्त जीवो में क्रमगत विकाश या तो माँ के ग़र्व में होता है याकि इस धरती में माँ के ग़र्व के बाहर,किन्तु ये भी माँ के ग़र्व में अंडे के रूप में धरती पर जन्म लेते है।


जानवर अथवा मनुष्यो में क्रमगत विकाश माँ के ग़र्व में हे हो जाता है। परन्तु बाकि के जीवो में क्रमगत विकाश माँ के ग़र्व के अलावा धरती में भी देखन को मिलता है।
 कुछ उदाहरण सहित बात करते है।



१- उदाहरण मेढक का:-


एक मेंढक के जीवन चक्र में तीन चरण होते हैं :- अंडा, लार्वा और वयस्क। जैसे ही मेंढक बढ़ता है, यह इन चरणों से होकर गुजरता है, जिसे कायापलट के रूप में जाना जाता है। अतः एक मेढक का क्रमगत विकाश तीन चरणों में होता है।

जैसे ही मेंढक बढ़ता है, यह इन चरणों से होकर गुजरता है, जिसे कायापलट के रूप में जाना जाता है। मेंढकों को कायापलट से गुजरने वाले एकमात्र जानवर नहीं हैं; अधिकांश अन्य उभयचरों को भी अपने पूरे जीवन चक्र में उल्लेखनीय परिवर्तन से गुजरना पड़ता है, क्योंकि अकशेरुकी जीवों की कई प्रजातियां होती हैं। जिनमे क्रमगत विकाश के कारन वयस्क रूप धारण करता है।

 कायापलट के दौरान, दो हार्मोन, प्रोलैक्टिन और थायरोक्सिन, अंडे से लार्वा से वयस्क तक परिवर्तन को नियंत्रित करते हैं।


२-इसी प्रकार तितलियों में भी क्रमगत परिवार्ता आता है। जिनकी चार अवस्थाये है :-


(1।) अंडा (2।) लार्वा (3।) प्यूपा (4।) तितली

३-इसी प्रकार जेलिफ़िश

 अतः अन्य कई जीव है जिनका  वयस्क रूप क्रमगत विकाश से हुआ।

अतः क्रमगत विकाश होता है, किन्तु वह क्रमगत विकाश वयस्क रूप पाने के लिए होता है।
क्रमगत विकाश ऐसा कभी नहीं हो सकता जिससे एक प्रजाति अपना गुण रूप बदल कर कोई अन्य प्रजाति बन जाये।

अतः मैं आधुनिक विज्ञानं के इस सिध्यांत को नहीं मानता हूँ  की मानव वानरों के क्रमगत विकाश से हुआ है। और ऐसा कोई क्रमगत विकाश जो अपनी प्रजाति को बदल दे और अन्य रूप धारण कर ले यह प्राकृतिक तरीके से संभव नहीं है।


जैसा आधुनिक विज्ञानं कहता है वैसा क्रमगत विकाश संभव नहीं है। 

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