Divine weapon-Arms composition or modern weapon-Arms composition and need of weapons.


weapons-arms has been used by humans ever since the origin of humans or animals, but we have seen that weapons and arms has been composed in many ways, we have seen many types of references in many religious texts about divine weapons. And in the modern era, the modern weapon session is being composed.
                                                                                                                                                                                                     (wallpapercave.com)

In the modern era, the composition of weapons is becoming explosive day by day, in which no way is being found to stop these explosions. The weapons of the modern era have the potential to destroy the entire world, such as the atomic bomb.
The use of weapons has been mentioned in many religious texts.

In the past there were weapons made of various earth elements. To stop the effect of any weapon, an opposite weapon was used. Like Agniastra (Agnayastro) was faced with (Varunastra) weapons of water.


This is a big challenge for today's modern era, to search for such a Varunastra.


Modern science should try to make such weapons which do not disturb the balance of nature.
Is it really possible? How can weapon like varunastra be made?


Why not make a missile that can act like a varun missile and vote against the Agni missile to reduce agni missile effect.


Or increase its power so that the effect of the atomic bomb can be stopped.


Today there is a need for modern science to create such weapons which can stop these explosions or control them by running against these explosive weapons.


Now the question arises, Is it possible? Can such weapons be composed?

If we talk about divine period, then highly complex or destructive weapons were created in it like Sudarshan Chakra, Narayanastra, Brahmastra etc.


These weapons were so complex or destructive that they could destroy the whole creation with just one stroke. The reaction or coding to make these weapons was so complex that today's science does not have the ability to make such weapons or to code such weapons.

But to prevent the influence of a weapon, such a weapon was made impractical so that the destructive powers of that weapon could be reduced or avoided. We simply do not have such weapons nor any other solution to avoid them.
Modern science must consider this subject and create such weapons which should be beneficial for creation not destructive.The weapon is designed for self-defense only.

Weapons should be used to defeat the enemy and not for its destruction.





दैविक अस्त्र-सस्त्र  रचना अथवा आधुनिक अस्त्र-सस्त्र रचना।

अस्त्र-सस्त्र का प्रयोग जब से मानव अथवा जीव-जन्तुओ की उतपत्ति हुई तबसे मानवो द्वारा प्रयोग किया जा रहा है,किन्तु हमने देखा है के अस्त्र सस्त्र की रचना कई प्रकार से किया गया है हमने कई धार्मिक ग्रंथो में इनके कई प्रकार के उल्लेख देखे है जिसमे दैविक अस्त्रों की रचना का उल्लेख है। और आधुनिक युग में भी आधुनिक अस्त्र सत्र की रचना हो रही है।

आधुनिक युग में अस्त्रों की रचना आएदिन विस्फोटक होती जा रही है,जिनमे इन विस्फोट को रोकने का कोई उपाय नहीं खोजै जा रहा है। आधुनिक युग के सस्त्र सम्पूर्ण जगत का विनाश करने की छमता रखते है,जैसे की परमाणु बम।

कई धार्मिक ग्रंथो में सस्त्रो के प्रयोग के बारे में बताया गया है।

पूर्वकाल में विभिन्न पार्थिव तत्वों से बने हुए हथियार होते थे। किसी अस्त्र का प्रभाव रोकने के लिए  उसके विपरीत शक्ति वाला अस्त्र चलाया जाता था। जैसे अग्निअस्त्रो (आग्न्यास्त्रो) का सामना जल के (वरुण)अस्त्रों से किया जाता था।


आज के आधुनिक युग क लिए ये बड़ी चुनौती है ऐसे वरुणास्त्र की खोज करना।
आधुनिक विज्ञानं को ऐसे अस्त्रों को बनाने क्क प्रयत्न करना चाहिए जो प्रकृति के संतुलन को न बिगाड़े।

क्या वाकई यह संभव है? क्या वरुणअस्त्र कैसे अस्त्र बनाये जा सकते है?
क्यों न ऐसे मिसाइल बनाई जाये जो वाणुनासत्र की तरह काम कर सके और अग्नि मिसाइल के विपरीत चल कर उसे मत दे सके।

अथवा उसकी शक्ति को बढ़ाया जाये जिससे परमाणु बम के प्रभाव को रोका जा सके।

आज जरुरत है आधुनिक विज्ञानं को ऐसे सस्त्रो की रचना करने की जो इन विस्फोट को रोक सके अथवा इन विस्फोटक सस्त्रो के विपरीत चला  कर उसपे नियंत्रण किया जा सके।

अब प्रश्न यह उठता है क्या है संभव है?क्या ऐसे सस्त्रो की रचना की जा सकती है?

अगर हम बात करे दैविक काल की तो उसमे अत्यधिक जटिल अथवा विनाशकारी सस्त्रो की रचना की जाती थी जैसे सुदर्शन चक्र,नारायणास्त्र ,ब्रह्मास्त्र इत्यादि।

ये अस्त्र इतने जटिल अथवा विनाशकारी थे के बस एक प्रहार से सम्पूर्ण सृष्टि को नष्ट कर सकते थे।इन अस्त्रों को बनाने की प्रतिक्रिया इतनी जटिल थी की आज के विज्ञानं के पास ऐसे सास्त्रे बनाने की छमता नहीं है।

परन्तु एक सस्त्र के प्रभाव को रोकने क लिए ऐसा एक सस्त्र अवस्य बनाया जाता था जिससे उस सस्त्र की विनाशक शक्तयो से बचा जा सकता था। दुर्भग्य बस न हमरे पास ऐसे सस्त्र है न हे उनसे बचने के लिए कोई और उपाय।

किन्तु आधुनिक विज्ञानं विस्फोटक सस्त्र तो बनता जा रहा है लेकिन उससे बचने के उपाय नहीं।
आधुनिक विज्ञानं को इस विषय पर जरूर विचार करना चाहिए और ऐसे सस्त्रो की भी रचना करनी चाहिए तो सृस्टि के लिए लाभकारी हो विनाशकारी नहीं।
अस्त्र सस्त्र की रचना आत्मरक्षा के लिए किया गया है।


अस्त्र सस्त्र का प्रयोग दुश्मन को पराजित करने के लिए होना चाहिए नाकि उसके विनाश के लिए।

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