Is our next birth based on deeds of previous birth?
pic.(gyanvatika.com)
We have read in many texts that we get the next body of our karma or deeds, is this true? There is no effect in the soul or vitality of the body, because karma does physical body, then why does karma affect the next life?
This statement is true that the soul carries some other body after death, reborn is possible ie.the soul gets another new body,
It is also mentioned in the Hindu text in Bhagwad Gita: -
It is also mentioned in the Hindu text in Bhagwad Gita: -
वसांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि ग्राहति नरोअप्राणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देहि।।
That is, just as a person renounces old clothes and wears new clothes, so the soul or vitality leaves the old body and takes a new body.
Now how does the deeds of our former birth affect our rebirth?
An organism or any other body is born of its enlightened state or conscious power and performs deeds; its deeds depend on its enlightenment state or consciousness state.(consciousness state varies body to body).
If we talk about humans, then human is the most enlightened being in the world, he brings more enlightenment power in this world than any other body, in which few conscious power of that human is in the awakened state which inspires man to do work or deeds and most of the part of it is in sleeping state.
The sleeping state can be awakened, which has many other ways such as meditation, by awakening this part, even ordinary humans can become very powerful with super natural power.
Man forgets his inner powers and he is deprived of his own consciousness and he does not do anything to awaken his consciousness power, or his deeds become like an animal. A person commits wrong deeds by which that person is not able to live life.
Cosmic power can only increases the power of consciousness, so a person has to meditate or do good deeds for these powers, which are useful for this creation.
Man's wrong actions do not awaken his consciousness or he also ignores or loose the awakened consciousness power.And their consciousness gets diminish, and in the next life it adopts the same body it is capable of.
क्या हमरा अगला जन्म पूर्व जन्म के कर्मो के आधार पर होता है ?
हमने कई ग्रंथो में यह पढ़ा है की हमारे कर्म के अनुशार हमे अगला शरीर मिलता है,क्या यह सत्य है? आत्मा अथवा प्राण में तो शरीर के कर्म से कोई प्रभाव नहीं पड़ता,क्योकि कर्म तो भौतिक शरीर करता है तो क्यों कर्म अगले जन्म को प्रभावित करता है?
यह कथन तो सत्य है की आत्मा अथवा प्राण किसी अन्य शरीर को धारण करलेता है,अथवा पुनर्जन्म होता है इसक उल्लेख हिन्दू ग्रन्थ गीता में भी कहा गया है:-
वसांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि ग्राहति नरोअप्राणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देहि।।
अर्थात जिस प्रकार मनुष्य पुराने वस्त्रो को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है,वैसे हे जीवात्मा पुराने शरीर को छोड़ कर नया शरीर धारण करती है।
अब कैसे हमरे पूर्व जन्म का कर्म हमरे पुनर्जन्म को प्रभावित करता है?
कोई जीव अथवा कोई अन्य शरीर अपनी चैतन्य अवस्था अथवा चैतन्य शक्ति के अनुशार जन्म लेता है और कर्म करता हैउसका कर्म उसके चैतन्य अवस्था पर निर्भर करता है।
अगर हम मनुष्य की बात करे तो मनुष्य सबसे जयदा चैतन्य प्राणी है वह इस जगत में अन्य शरीर से ज्यादा चैतन्य शक्ति लेकर आता है,जिसमे उस मनुष्य की कुछ ही चैतन्य शक्ति जागृत अवस्था में होती है जो मनुष्य से कर्म करने की प्रेरणा देती है अथवा ज्यादातर भाग चैतन्य शक्ति का निद्रा अवस्था में होता है।
निद्रा अवस्था को जागृत किया जा सकता है जिसके कई अन्य तरीके है,यह हिस्सा जागृत होने से साधारण मनुष्य भी अत्यंत शक्तिशाली हो सकता है।
मनुष्य अपनी अंदरूनी शक्तियों को भूल कर वह अपनी ही चेतना शक्ति से वंचित हो जाता है और वह अपनी चेतना शक्ति को जागृत करने के लिए कोई भी कार्य नहीं करता,अथवा उसके कर्म किसी जानवर की तरह हो जाते है।अपने कर्म को भूल कर वह व्यक्ति गलत कर्म करता है जिससे वह मनुष्य जीवन जीने के योग्य नहीं रहता।
ब्रह्मांडीय शक्तिया ही चेतना शक्ति को बढाती है,अतः इन शक्तियों के लिए मनुष्य को ध्यान अथवा अच्छे कर्म करना पड़ता है,जो इस सृष्टि के लिए उपयोगी हो।
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