If every particle, matter, or every cosmic structure has consciousness or vitality, then why they are different from each other?
In our study of spiritual and modern science till now, we have learned that a consciousness works in every particle or even in matter, or that consciousness makes those substances or matter to do work, and consciousness itself is a symptom of the soul. Therefore, there is life in every substance.
Now the question arises, if consciousness works in every particles and substance, then why do every cosmic creations have different behavior?
Why is their nature and appearance are different, why any creature is inanimate? Why is an organism different, why is different behavior of an organism and why in substances in the same way?
As we have already said that consciousness is the symptom of the soul and the symptoms keep changing and this symptom determines the life that soul or vitality will get.It is consciousness that makes matter or or substance to work.
How awake the consciousness is determines the character or nature of the person or substance.
Consciousness has its own scope and limitations in every matter in which it has to be worked on, just as we know in trees, animals, or humans, they have consciousness, all of them are conscious, but their scope of work or limitations of doing work is determined. Which is determined by their consciousness power, the consciousness of human beings is the most awake, That is why all of them come into consciousness. or in other things the state of consciousness is subtle, so they are called inert matter.
Therefore, every atom or particle has its own life span as similar as humans have. It dies after spending this life time. Similarly, after emitting vitality or energy from the body or particle, it will be born again as another particle or body and this cycle goes on continuously.
Therefore, the conscious state determines how he will get the next body.
अगर हर कण,पदार्थ में,अथवा प्रत्येक ब्रह्मांडीय रचना में चेतना है अथवा प्राण है तो वह एक दूसरे से अलग अथवा भिन्न क्यों है?
हमारे अबतक के आध्यात्मिक और आधुनिक विज्ञानं के अध्यन में हमने यह जाना के हर कण में अथवा पदार्थ में भी एक चेतना काम करती है अथवा चेतना ही उन पदार्थो से काम करवाती है और चेतना ही आत्मा का लक्षण है। अतः हर पदार्थ में प्राण है।
अब प्रश्न यह उठता है अगर हर पदार्थ में चेतना काम करती है तो हर ब्रह्मांडीय रचनाओं का अलग अलग व्यवाहर क्यों है?
उनकी प्रकिति अलग क्यों है,कोई जीव तो कोई निर्जीव क्यों है?जीव है तोर जीव के अलग अलग व्यवहार क्यू है और उसी प्रकार निर्जीव क्यों है?
जैसा की हमने पहले भी बताया है की चेतना आत्मा का लक्षण है और लक्षण बदलता रहता है,और यह लक्षण ही निर्धारित करता है उस आत्मा को कैसा जीवन मिलेगा क्योकि चेतना ही पदार्थ अथवा कण से कार्य करवाती है।
चेतना कितनी जागृत है यह निर्धारित करता है की व्यक्ति अथवा पदार्थ का चरित्र अथवा प्रकृति कैसी होगी।
और चेतना को जागृत करने क लिए अनेक उपाए है जो की सिर्फ मनुस्यों के द्वारा किया जा सकता है। की वह मनुष्य अपनी चेता जागृत कर कैसे कार्य करता है,अन्य पदार्थो में ऐसे गुण नहीं है।
हर पदार्थ में चेतना का अपना एक दायरा है जसमे उसे रह क काम किया जाना होता है,जिस प्रकार पेड़-पौधों में ,जानवरो में, अथवा मनुष्यो में हम जानते है इनमे चेतनाये है, ये सब चैतन्य है लईकिन इनका काम करने का दायरा निर्धारित है जो की इनकी चेतना शक्ति पर निर्धारित होती है,मनुष्यो की चेतना सबसे ज्यादा जागृ होती है इसलिए वो सब चैतन्य में आते है अथवा अन्य पदार्थो में चेतना की अवस्था सुक्ष्म होती है इसलिए वो जढ़ पदार्थ कहलाते है।
Wahh..shailu. 😁
ReplyDeleteThank you 😊
DeleteGood work
ReplyDeleteSahi h bro I love it
ReplyDeleteBadhiya likhta h
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