Is a human born of this planet (earth). Or come from another planet? Or is man born with gradual progress or through evolution?



The structure of man is very complex, the more easy it appears from outside, the more difficult it is from the inside.


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Looking at the creation of humans, modern scientists have given their views in many ways, so it is believed that human progress has been attained by gradual progress or evolution. It is believed that humans were the first apes. And humans originated from apes.




Now the question arises that has there really been a gradual advancement or evolution which has resulted in a complete  human body?



There are many assumptions in this subject, in which if we look according to Hindu scriptures, then human form was not attained through gradual progress or evolution. Human origin has been told that they have been revealed for the development of the world.


The question here is how can humans manifested? Who would have done it?



 It has been said in this topic that humans and every creatures was born or manifested by God or Ishwar. But modern science does not believe in divine authority.


But the thing is to think that such a complex creation of this nature or this universe cannot be done on its own.





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Therefore, there is definitely a creator. Who has created this nature or this universe. Otherwise, it is not possible to generates itself, such a complex creation and it is so intelligently composed.


But modern science does not want to accept any such divine power.

Modern science believes that humans have originated from gradual disturbance or through evolution,


But the question is that if the human form has happened due to gradual disturbance or evolution, then why has this progress of evolution stopped, is there no development or evolution in the body after human?



The history of this earth is of many Yugos(yug). Right now, humans have a history of about five thousand years, so why was there no change in humans or any other creatures in this history? Why no systematic disturbance was seen in any organism why this evolution stops?.
The monkeys who remained monkeys remained, the animals that remained as they were, why?

Modern science can cross-breed animals according to which it is speculating.



We also believe that we are not born from animals.




Because the animals that were there are still animals. If such a gradual disturbance is possible in the living organisms, then the basic organism should be extinct or lost by now. While it is not the case that the creatures were the same as they have been for centuries, they have not changed.




According to religious texts, the rest of the animals on this earth have been made on earth. Most creatures originate from water. In which there is the ability to breed, and the human has been sent by Brahma from Brahmaloka or any other planet (Loka) to develop this world.




If we combine spiritual and modern science and talk on the logic of both: -


1. Reproduction may occur between two same kind of species, leading to gradual progress or                   evolution to some extent. But humans are not born with gradual progress or through evolution

2.  Human beings have come to this world for their development or home life.

3.  Human is not a creature of this planet. But humans have been created for this planet.







क्या मनुष्य इसी ग्रह(धरती) का ही जन्मा प्राणी है। या किसी अन्य ग्रह से आये है? अथवा क्या मनुष्य क्रमागत उन्नति से पैदा हुआ है?


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मनुष्य की बनावट अत्यधिक जटिल है,ये बाहर से जितना शरल दिखाई देती है वस्तविक में अंदर से उतना ही कठिन है।



मानव की रचना को देखते हुए आधुनिक वैज्ञानिको ने कई प्रकार के अपने विचार रखे अतः ये माना जाता है की क्रमगत उन्नति से मानव रूप मिला है। माना यह जाता है की मानव पहले वानर थे। और वानरों से ही मानवो की उत्पत्ति हुई।


अब प्रश्न यह उठता है की क्या वाकई क्रमगत उन्नति हुई जिससे पूर्णरूप से मानव शरीर बन पाया?


इस विषय में कई धारणाये है, जिसमे अगर हम हिन्दू ग्रंथो के अनुसाहर देखे तो मानव रूप करमगत उन्नति के द्वारा नहीं मिला। मानव उत्पत्ति के बारे में बताया गया है की ये प्रकट किये गए है सृष्टि विकाश के लिए।
यहाँ प्रश्न यह है की मानव प्रकट कैसे हो सकते है? किसीने तो किया होगा?
 इस विषय में बताया गया है की ये इस्वर द्वारा जन्मे है अथवा प्रकट हुए है। किन्तु आधुनिक विज्ञानं ईस्वरीय सत्ता को नहीं मानता.

लेकिन बात तो यह सोचने वाली है की इस प्रकृति अथवा इस ब्रह्माण्ड की इतनी जटिल रचना अपने आप कैसे  हो सकती।

अतः कोई रचना करने वाला जरूर है। जो इस सृष्टि को अथवा इस ब्रह्माण्ड को बनाया है। अन्यथा इतनी जटिल और इतनी  समझपूर्वक रचना खुद से नहीं हो सकती।

किन्तु आधुनिक विज्ञानं ऐसे कोई ईस्वरीय शक्ति को मानने को त्यार नहीं है।
आधुनिक विज्ञानं का मानना है की मानव की उत्पत्ति क्रमगत उनत्ति से हुई है,

किन्तु प्रश्न यह है की अगर मानव रूप क्रमगत उनत्ति से हुआ है तो यह उन्नति की गति रुक क्यों गई क्या मानव के बाद कोई शरीर में विकाश नहीं हुआ?

इस धरती का इतिहास कई  युगो का है। अभी मानव के पास तकरीबन पांच हजार वर्षो तक का इतिहास है तो इस इतिहास में मानव में अथवा कोई अन्य जीवो में कोई बदलाव क्यों नहीं देखा गया? क्यों किसी जीव में कोई क्रमगत उनत्ति नहीं देखी गई।
जो बन्दर थे बन्दर ही रह गए,जो जानवर जिस रूप में था उसी रूप में रह गया आखिर क्यों?

आधुनिक विज्ञानं जानवरो में पार प्रजनन कर सकता है जिसके अनुसार वह अनुमान लगा रहा है।
हमारा भी मानना यही है की हम जानवरो से पैदा नहीं हुए है।

क्योकि जो जानवर थे वो अब भी जानवर ही है। अगर ऐसा क्रमगत उनत्ति जीवो में संभव है तो बुनियादी जीवा को अबतक विलुप्त अथवा ख़त्म हो जाना चाहिए। जबकि ऐसा नहीं है जो जीव जैसे थे वैसे ही सदियों से है इनमे को बदलाव नहीं आया है।

 धार्मिक ग्रंथो के अनुसार इस धरती पर बाकि के जीवा-जंतुओं को धरती पर ही बनाया गया है। अत्यधिक जीवो की उतपत्ति पानी से हुई है। जिनमे पर प्रजनन करने की छमता है।और मानव को ब्रह्मा द्वारा ब्रह्मलोक अथवा किसी अन्य ग्रह (लोक) से प्रकट कर के इस जगत विकाश क लिए भेजा गया है।

अगर हम आध्यात्मिक और आधुनिक विज्ञानं को मिला कर दोनों के तर्क पे बात करे तो:-



१ पर प्रजनन हो सकता है जिससे कुछ हद तक क्रमगत उन्नति हो सकती है। किन्तु मानव का जन्म क्रमगत उन्नति से नहीं हुआ है।

२ मानव इस जगत में इसके विकाश अथवा गृहस्त जीवन के लिए आये है।

३ मानव इस ग्रह का प्राणी नहीं है। परन्तु मानव की उत्पति इस ग्रह क लिए किया गया है।

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