symmetricity in every materialistic creation of  the universe.




The creation of this entire creation of the universe itself is a deep question. self formed universe is not possible because no work can be performed without any existence. The creation of this creation has been created by a very powerful energy or power that is supreme and the most powerful of all creation.



But the theme is that there is uniformity in every materialistic creation of the universe. Is there actually a symmetry in every physical creation? Do you coordinate a large composition with a small substance?

1.We talk about the atom and the creation of the atom.


So far, it is believed that atom is the smallest unit by which materialistic creation happen, although
atom is also made of electron proton neutron and it has many other small units, but it is possible to achieve stability only in atoms.

-If we talk about an atom, then there is a nucleus (proton, neutron) in this atom in which the electron rotates outside the nucleus. And is constantly moving.


2. Now let's talk about our solar system.


If seen in our solar system, the Sun is acting like a nucleus in the center and other planets are moving
around the Sun like electrons.




3. Now let's talk about the Milky Way.

If we talk about the activities of the Milky Way (galaxy), then the activities are happening in the same way in the Milky Way. The center of the galaxy acts like a nucleus around which stars similar to electrons are rotating around the galactic center.

"The discovery of modern science is limited so far, but it can be assumed that many other galaxy may be orbiting around a center, which we can consider as the center of this universe".


All these compositions have many similarities, each composition is connected to a center, from an atom to a galaxy, everyone is seen working in the same way.


The purpose of explaining all this is that if there is so much synergy in the creation of the universe then why are they read and explained in different ways.

The force acting between the nucleus and electrons in an atom works in the same way as the force between the sun and planets in the solar system. Then how can these two be different. This composition shows many similarities and the same rules are being followed somewhere.


This creation is going through some natural rules which are working equally for all. And the same rule is basically the same which never changes for anyone.






ब्रह्मांड की हर भौतिकवादी रचना में समरूपता।


इस सृष्टि की रचना खुद में ही एक गहरा प्रश्न है। यस सृष्टि स्वतः हे बन जाये यह संभव ही नहीं है।क्योकि की कोई भी कार्य स्वतः नहीं हो सकता। इस सृष्टि को बनाने में अत्यधिक शक्तिशाली ऊर्जा अथवा ऐसी शक्ति के द्वारा रचना की गई है जो परम है और हर रचना में सबसे शक्तिशाली है।


लेकिन विषय यह है की ब्रह्माण्ड की हर भौतिकवादी रचना में समरूपता। क्या वास्तव में हर भौतिवादी रचना में समरूपता है? क्या एक छोटे से पदार्थ लेकर एक विशाल रचना में समनताये है?
 सबसे पहले बात करते है इस सृष्टि की सबसे छोटी इकाई अथवा सबसे छोटी रचना जिससे यह भौतिक रचना संभव हो पाई है।


1.हम बात करते है परमाणु की और परमाणु की रचना की।


अबतक माना यह जा रहा है की परमाणु ही सबसे छोटी इकाई है भौतिकवादी रचना की हलाकि परमाणु भी इलेक्ट्रान प्रोटोन न्यूट्रॉन से बने है और इनकी भी अन्य कई छोटी इकाइयां है किन्तु स्थिरता बना पाना परमाणुओं में ही संभव हो सकता है।
अगर बात की जाये परमाणु की तो इस परमाणु में नुक्लेउस  (प्रोटोन ,न्यूट्रॉन) जिसमे इलेक्ट्रान नुक्लेउस के बाहर चक्कर लगता है । और निरंतर गतिशील रहता है ।

२. अब बात करते है अपने सौर मंडल की।


हमारे सौर मंडल में अगर देखा जाये तो सूर्य केंद्र में स्थित होकर एक नुक्लेउस की तरह काम कर रहा है और
अन्य ग्रह इलेक्ट्रान की तरह सूर्य के चारो तरफ चक्कर लगा रहे है।

३. अब बात करते है अब आकाशगंगा।


अगर हम आकाशगंगा की गतिविधियों की बात करे तो आकाशगंगा में भी समान तरीके से ही गतिविधिया हो रही है। आकाशगंगा का केंद्र एक नुक्लेउस के तरह काम करता है जिसके चारो तरफ अन्य  तारे इलेक्ट्रान की तरह ही केंद्र के चारोतरफ चक्कर लगा रही है।

आधुनिक विज्ञानं की खोज अबतक सीमित है किन्तु यह माना जा सकता है की अन्य कई आकाशगंगाये एक केंद्र के चारोतरफ चक्कर लगा रही होगी जिसे हम इस ब्रह्माण्ड का केंद्र मन सकते है।

इन सभी रचनाओं में कई समानताये है हर एक रचना एक केंद्र से जुडी हुई है एक परमाणु से लेकर आकाशगंगा तक सब सामान रूप से ही कार्य करती हुई दिखाई दे रही है।

यह सब बताने का उद्देश्य यह है की अगर सृष्टि की रचना में इतनी समनताये है तो फिर इन्हे अलग-अलग तरीके से क्यों पढ़ा जाता है।

किसी परमाणु में नुक्लेउस और इलेक्ट्रान के बीच लगने वाला बल जिस प्रकार काम करता है उसी प्रकार सौर मंडल में सूर्य और ग्रहो के बीच समानरूप से बल लग रहा है। फिर ये दोनों अलग कैसे हो सकते है। यह रचना कई समानताये दर्शाती है और कही न कही एक ही नियम क अनुशार चल रही है।

यह सृष्टि कुछ ही प्राकृतिक नियमो से चल रही जो सभी के लिए समान रूप से काम कर रही है। और यही नियम मूलरूप से समान है जो कभी किसी के लिए नहीं बदलते।

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