Use of Bhasma (ashes) in human body? Why humans should apply it?
Often we have heard or seen in Sanatan culture that some yogi sadhus used to apply incinerate organic product or bhasma (ashes) to their body, but have we ever think or thought why did these people do this?
What would have been the purpose of using this ash in the body? After all, why was it mandatory to use it?
But we see some scientific aspects of them.
One thing to note is that most of the same sadhus or yogis used to apply Bhasma who used to do their sadhana yoga or meditation on a mountain or in areas above the ground.
After all, what is Bhasma?
In Ayurveda, only medicines derived from calcination are called as Bhasma.
There are many types of bhasma. According to modern science, the ash found after the burning of organic matter is called as ash. But it is not possible that every ashes are bhasma. In Ayurveda, the ash of a particular type of organic matter is called Bhasma.
In which we are referring to a special or which we can easily obtain Bhasma. In which it is made from mango wood and cow dung. In the search of modern science, it has been found that after burning of both mango wood and cow dung, the quantity of oxygen or certain types of elements has been found in excess in their ashes.
When a person apply this ash in his body, then it provides the above elements to the cells of the
human body. the elements which are required for human body cells so through the diffusion process required elements penetrates into the cells.
This same bhasma is also useful for many other skin diseases. Which can be seen in modern discovery. Modern science should study on this subject and should also search on other kind of Bhasma.
One reason may be that due to the low amount of oxygen in the mountains, the sadhus used to apply Bhasma so that their cells could take oxygen from outside and the amount of oxygen in their body cells did not reduce.
Due to which, the amount of oxygen in the cells of the sadhus used to be kept and it also protects the cells from other diseases or external climatic problems.
That is why Bhasma was used as a medicine or a human should also understand its utility and use it.
मानव रूपी शरीर में भस्म की उपयोगिता? क्यों मनुष्य को भस्म लगाना चाहिए?
अक्सर हमने सुना है अथवा सनातनी संस्कृति में देखा है की कुछ योगी साधु अपने शरीर में भस्म लगाया करते थे किन्तु क्या हमने कभी यह विचार किया या यह सोचा की आखिर ये लोग ऐसा क्यों करते थे?
शरीर में इस भस्म के प्रयोग का उद्देश्य क्या रहा होगा? आखिर इसका प्रयोग करना क्यों अनिवार्य हुआ करता था?
लेकिन हम इनके कुछ वैज्ञानिक पहलुओं के बारे में देखते है.
एकबात गौर करने वाली है के ज्यादातर वही साधु अथवा योगी भस्म का प्रयोग करते थे जो अपनी साधना अथवा योग किसी पहाड़ पर अथवा जमीन से ऊपर के इलाको में किया करते थे.
आखिर भस्म किसे कहते है?
आयुर्वेद में निस्तापन (कैल्सिनाशन) से प्राप्त पदार्थो औषधियों को ही भस्म कहते है.
भस्म कई प्रकार की होती है. आधुनिक विज्ञानं के अनुसार जैविक पदर्थो के जलने के बाद जो राख़ मिले वह सब भस्म कहलाती है. किन्तु ऐसा कदाचित नहीं है. आयुर्वेद में भस्म एक विशेष किस्म के जैविक पदार्थो के राख़ को ही कहा जाता है.
जिनमे हम एक विशेष और महत्वपूर्ण भस्म का जिक्र कर रहे है. जिसमे वह भस्म आम की लकड़ी और गाय के गोबर से बनती है. आधुनिक विज्ञानं के खोज में यह पाया गया है की आम की लकड़ी और गाय के गोबर दोनों के जलने के बाद उनके राख़ में ऑक्सीजन अथवा कुछ विशेष प्रकार के तत्वों की मात्रा अधिकता में पाई गई है.
इन तत्वों की मात्रा अधिक होने के कारन यह भस्म मानव शरीर के लिए उपयोगी है.
जब कोई व्यक्ति इस भस्म को अपने शरीर में लगता है तब यह भस्म मानव शरीर की कोशिकाओं को उक्त तत्वों को प्रदान करता है.
ऐसे ही यही भस्म कई अन्य चार्म रोगो के लिए भी उपयोगी है. जिन्हे आधुनिक खोज में देखा जा सकता है.आधुनिक विज्ञानं को इस विषय पर अध्यन करना चाहिए और अन्य भस्मो पर भी खोज करनी चाहिए.
एक यह भी कारन हो सकता है की पहाड़ो में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने के कारन साधु भस्म का प्रयोग किया करते थे जिससे उनकी कोशिकाएं बहार से ही ऑक्सीजन ले सके और उनके शरीर के कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा काम न हो.
जिनके कारन साधुओ के शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की मात्रा बानी रहती थी और यह कोशिकाओं को अन्य बीमारियों से भी बचाया करता है.
इसीलिए भस्म का प्रयोग एक औषधि के रूप में किया जाता था अथवा इनकी उपयोगिताओं को समझ कर मानव को प्रयोग में लाना चाहिए.
Comments
Post a Comment