Man is becoming the cause of his own destruction.(COVID 19) .


Today the whole world is affected by an epidemic named Corona(COVID 19), and this epidemic is taking people all over the world. And anyway, nature should punish the entire human society who is playing with this nature and the entire creation.


In today's age, people are becoming so blind to the greed of their own happiness that they have no concern to save nature, and the things given in nature are being misused in this way for their own selfishness. That today our nature itself is becoming aggressive and punishing the peoples.

After all, why not should nature punish? For nature, every creation is superior.In the view of nature, every creation is superior, that is, every composition has its own importance.
 Every creation is a structure of nature itself.

But this nature has made man highly intelligent. The only purpose behind this was that he would take care of other creations of nature. But the savior became a eater and started messing with the whole creation.


human civilization:-


Now it comes to human civilizations, there is only one human civilization that takes care of other creations and goes with this nature and takes care of it, but here civilizations are divided in the name of religion, now here human does not go on with civilization but go with its religion, even if its religion teaches the malpractices.

Man is becoming so blind in the name of religion that he is unable to find the difference between right and wrong. He does all his misdeeds in the name of religion.


If nature has given equal rights to everyone, then why:-
If nature can maintain its balance, then why does the most intelligent creature on this earth devour other creeping creatures?
Why man is becoming so ruthless that he continues to destroy other creations.
Why is man forgetting his civilization? Why people are ruthlessly killing other creatures under the guise of their religion and devouring them?

Why man is not taking care of the creations of this nature, for which man himself has been created.
Why is a human being asserting his authority over every creation and putting an end to them?


If man does not follow his civilization and will continue to play with nature in the same way, then the day is not far when this whole human civilization will come under the rage of nature and nowhere will the entire human race come to an end.

If human beings continue to play with nature like this, then such an epidemic will continue from time to time. Because nature always maintains its balance. Finish the creations of nature and nature will also kill you.

It is only appropriate to end such a civilization, which is the only one to play with this nature. Human beings do not have any habitable living in this earth.


If man does not interfere in this creation, then this entire composition will continue to be balanced.









 मानव अपने विनाश का कारण खुद बनता जा रहा है?(COVID १९)

सिर्फ कोरोना ही नहीं यह प्रकृति समय-समय पर मानव प्रजाति को ऐसी सजा देती रहेगी।

आज पूरी दुनिया एक कोरोना नाम की महामारी से ग्रसित है, और यह महामारी पुरे विश्व में लोगो को अपने चपेट में लेती जा रही है। और वैसे भी पुरे मानव समाज को प्रकृति ऐसी सजा दे जो इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है।

आज के युग में लोग खुद के सुख-सुविधा के लोभ में इतने अंधे होते जा रहे है की उन्हें प्रकृति को बचाने की कोई चिंता ही नहीं है, और खुद के स्वार्थ के खातिर प्रकृति में दी हुई वस्तुओ का इस प्रकार दुरुपयोग किया जा रहा है की आज हमरी प्रकृति खुद ही आक्रमक होती जा रही है।

आखिर प्रकृति सजा दे भी न क्यों? प्रकृति के लिए तो हर रचना श्रेष्ठ है। प्रकृति के दृष्टि  में हर रचना श्रेष्ठ है अर्थात हर रचना की अवयस्कता है।
 हर रचना मिल के ही खुद प्रकृति की संरचना होती है।किन्तु इस प्रकृति ने मनुष्य को अत्यधिक बुद्धिमान बनाया है इसके पीछे एक ही उद्देश्य था की प्रकृति की अन्य रचनाओं का ख्याल रखेगा।किन्तु रक्षक ही भक्षक बन गया और सम्पूर्ण रचना के साथ खिलवाड़ करने लगा।

मानव सभ्यता:-


अब बात आती है मानव सभ्यताओं की वैसे तो मानव की एक ही सभ्यता है जो की अन्य रचनाओं का ख्याल रखे और इस प्रकृति के साथ चले और इसकी देख-भाल करे, किन्तु यहाँ सभ्यताए ही धर्म के नाम पर बँटी हुई है, अब यहाँ मानव सभ्यता नहीं अपने धर्म के साथ चलता है चाहे उसका धर्म कुरीतियाँ ही क्यों न सिखाता हो।

धर्म के नाम पर इंसान इतना अँधा होता जा रहा है की वह सही और गलत में अंतर नहीं ढूंढ पा रहा है। धर्म के नाम पर वह अपने सारे गलत काम करता है।


अगर प्रकृति ने सबको समानरूप से हक़ दिया है तो ऐसा क्यों:-

अगर प्रकृति अपना संतुलन बनाये रख सकती है तो इस धरती का सबसे बुद्धिजीवी प्राणी मनुष्य अन्य रेंगनेवाले जीवो का भक्षण क्यों करता है?
क्यों मनुष्य इतना निर्दई होता जा रहा है की वह अन्य रचनाओं को समाप्त करता जा रहा है?
क्यों मनुष्य अपनी सभ्यता भूलता जा रहा है?क्यों लोग अपने धर्म के आड़ में अन्य जीवो की बेरहमी से हत्या आकरके उनका भक्षण कर रहे है?

क्यों मनुष्य इस प्रकृति की रचनाओं का ख्याल नहीं रख रहा है,जिसके लिए खुद मनुष्य की रचना की गई है।
क्यों मनुष्य हर रचना पर अपना अधिकार जताकर उनका अंत करता जा रहा है?

अगर मनुष्य अपनी सभ्यता का पालन नहीं करता और ऎसे ही प्रकृति के साथ खिलवाड़ करता रहेगा तो वो दिन दूर नहीं जब इस पूरी मानव सभ्यता प्रकृति के आक्रोश में आ जाएगी और कही पूरी मानव जाति का न अंत हो जाये।

अगर मानव प्रकृति के साथ ऎसे ही खिलवाड़ करता रहेगा तो ऐसी महामारी समय-समय पर होती ही रहेगी। क्योकि प्रकृति अपना संतुलन हमेशा बनाकर चलती है। आप प्रकृति की रचनाओं को ख़त्म करो और प्रकृति आपको।

ऐसी सभ्यता का ख़तम हो जाना ही उचित है जो इस प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर यही हो। मानव इस धरती में रहने योग्य बचा ही नहीं है।


 अगर मानव इस रचना में अपना हस्तक्षेप न करे तो यह सपूर्ण रचना संतुलित होकर चलती रहेगी।

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